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लोक अदालतें प्रकरणों के निराकरण का सबसे सुलभ व सस्ता माध्यम

नेशनल लोक अदालत 10 मई, 2025 (शनिवार)।

लोक अदालतें प्रकरणों के निराकरण का सबसे सुलभ व सस्ता माध्यम 48 खण्डपीठों द्वारा 2522 प्रकरण निराकृत किए गए जिसमें राशि रूपये 8,60,67,658/- (आठ करोड़ साठ लाख सड़सठ हजार छः सौ अन्ठावन रूपये) का अवार्ड पारित किया गया राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली व मध्य प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण, जबलपुर के दिशा-निर्देशानुसार दिनाँक 10/05/2025 (शनिवार) को नेशनल लोक अदालत का आयोजन जिला न्यायालय, सागर एवं समस्त तहसील न्यायालयों में किया गया। जिला मुख्यालय, सागर में उक्त नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ माननीय प्रधान जिला न्यायाधीश/अध्यक्ष महोदय जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, सागर श्री महेश कुमार शर्मा द्वारा मॉं सरस्वती की प्रतिमा पर दीप प्रज्जवल व माल्यार्पण कर किया गया जिसमें प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय, श्री अखिलेश कुमार मिश्र, विशेष न्यायाधीश व को-आर्डिनेटर नेशनल लोक अदालत प्रदीप सोनी, जिला मुख्यालय सागर में पदस्थ समस्त न्यायाधीशगण, सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण,  अंकित श्रीवास्तव, अधिवक्तागण, न्यायालयीन कर्मचारीगण व बैंक, विद्युत, बी.एस.एन.एल., बीमा कंपनियों के अधिकारीगण उपस्थित रहे। उक्त कार्यक्रम को संबोधित करते हुये प्रधान जिला न्यायाधीश शर्मा द्वारा अपने उद्बोधन में आमजन को संदेश दिया कि समय-समय पर आयोजित होने वाली नेशनल लोक अदालत के माध्यम से पक्षकारगण द्वारा अपना मामला निराकृत करवाये जाने पर उनके समय व धन की बचत होती है। इस अवसर पर सचिव  अंकित श्रीवास्तव द्वारा नेशनल लोक अदालत में गठित खण्डपीठों की जानकारी वर्णित करते हुये रूपरेखा से अवगत कराते हुये बताया कि नेशनल लोक अदालत में संपूर्ण जिले में कुल 48 खण्डापीठों का गठन किया गया है जिसमें लगभग 2500 मामले रखे गये हैं। दिनांक 10/05/2025 को आयोजित नेशनल लोक अदालत हेतु संपूर्ण जिले मंे कुल 48 खण्डपीठों का गठन किया गया, जिसमें न्यायालय में लंबित प्रकरणों में से 945 प्रकरण एवं प्री-लिटिगेशन के 1577 प्रकरणों का निराकरण राजीनामा के आधार पर किया गया, जिसमें मोटर दुर्घटना के 39 प्रकरणों का निराकरण कर क्षतिपूर्ति राशि रूपये 36,88,000/- के अवार्ड पारित किए गए, चैक बाउंस के 167 प्रकरणों के निराकरण में कुल राशि रूपये 4,10,45,775/- का समझौता अवार्ड किया गया। आपराधिक प्रकृति के शमन योग्य 341 प्रकरण, विद्युत के 147 प्रकरण, पारिवारिक विवाद के 69 प्रकरण तथा दीवानी एवं अन्य प्रकृति के 159 प्रकरण, बैंक रिकवरी के 23 प्रकरणों का निराकरण किया गया। विभिन्न बैंकों के 74 प्री-लिटिगेशन प्रकरण, विद्युत विभाग के 552 प्री-लिटिगेशन प्रकरण, नगर निगम के 752 प्री-लिटिगेशन प्रकरण एवं अन्य प्रकृति के 199 प्री-लिटिगेशन प्रकरणों का निराकरण भी इस अवसर पर हुआ जिसमें राशि रूपये 2,29,44,934/- का राजस्व प्राप्त हुआ।

नेशनल लोक अदालत सक्सेस स्टोरीः-

  1. दिनांक 20.05.2024 को आवेदक 80 वर्षीय मंदिर से घर लौटकर आ रहा था तभी रास्ते में चार पहिया वाहन के चालक द्वारा आवेदक को टक्कर मार दी। आवेदक 10 दिन बंसल हॉस्पीटल में भर्ती रहा। माननीय प्रधान जिला न्यायाधीश श्रीमान एम.के. शर्मा द्वारा आवेदक एवं बीमा कंपनी के बीच मध्यस्थता की कार्यवाही कराई गई जिसमें बीमा कंपनी एवं आवेदक के बीच 3,20,000/- रूपये में वाद का निराकरण कराया। माननीय प्रधान जिला न्यायाधीश महोदय के प्रयास से आवेदक को एक मुश्त राशि कम समय में लोक अदालत के माध्यम से प्राप्त हो गई। प्रकरण राजीनामा के आधार पर निराकृत हुआ।
  2. परिवादी की शादी मकरोनिया में वर्ष 2022 में हुई थी परिवादनी का एक 04 माह का बच्चा हैै आवेदिका द्वारा अनावेदक को समय पर जल्दी खाना न देने से आवेदिका और अनावेदक के बीच वाद विवाद हो गया जिसकी रिपोर्ट आवेदिका ने थाना मकरोनिया में कर दी एवं आवेदिका ने अनावेदक के विरूद्ध भरण पोषण का प्रकरण भी लगा दिया और उभयपक्ष 01 वर्ष से पृथक रह रहे थे न्यायाधीश श्रीमान रोहित शर्मा, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी सागर एवं न्यायाधीश सुश्री रीना शर्मा, न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी के प्रयास से प्रयासों से उभयपक्ष साथ साथ रहने को तैयार हो गए।
  3. आवेदक ने अपने भाईयों के साथ मिलकर अपने कुटुंब के परिजनों पर जमीन संबंधी दावा एवं हक और रास्ता के निकास संबंधी एक व्यवहारवाद न्यायालय सुश्री रीना शर्मा, व्यवहार न्यायाधीश कनिष्ठ खंड, सागर के समक्ष प्रस्तुत किया। न्यायाधीश महोदया द्वारा उभयपक्ष के बीच बार बार सामजस्य एवं राजीनामा के प्रयास करने पर कुटुंबजन के बीच आपस में बैठकर जमीन का बटवारा हो गया और न्यायालय की पहल पर उभयपक्षों ने निकासी के लिए एक रास्ता भी बनाने को तैयार हो गए। न्यायाधीश के विशेष प्रयासों से कुटुंबजनों में एकता आ गई। और आपसी घरू वाद विवाद समाप्त हो गया। प्रकरण राजीनामा के आधार पर समाप्त हुआ।
  4. आवदिका ने अनावेदक पति से परेशान होकर अपने पति के विरूद्ध घरेलु हिंसा का प्रकरण न्यायालय में प्रस्तुत किया जिसमें अनावेदक पति के द्वारा आवेदिका के साथ आये दिन मारपीट की जाती थी। आवेदिका और अनावेदक के नुत्फे से एक चार वर्षीय पुत्री भी थी जिसके भविष्य को देखते हुए माननीय न्यायालय  सौम्या गौड़ पालीवाल, व्यवहार न्यायाधीश, सागर की मध्यस्थता में उभयपक्ष की मध्यस्थता कराई जिसमें आवेदिका और अनावेदक साथ रहने को तैयार हो गए। प्रकरण राजीनामा के आधार पर निराकृत हुआ।

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