Search
Close this search box.

धर्म के मार्ग पर चलने से ही जीवन के कष्ट दूर होंगे- भूपेन्द्र सिंह

धर्म के मार्ग पर चलने से ही जीवन के कष्ट दूर होंगे- भूपेन्द्र सिंह

मालथौन। धर्म के मार्ग पर चलकर ही अपना जीवन और परिवार को सुखी रखा जा सकता है। समाज में धीरे-धीरे धर्म के अनुकूल आचरण कम हो रहा है और यही सारे कष्टों का कारण हैं। यह उद्गार पूर्व गृहमंत्री, खुरई विधायक भूपेन्द्र सिंह ने श्रीराम महायज्ञ एवं श्री राम कथा के आयोजन स्थल पर व्यक्त किए।

मालथौन के श्री केसरी मंदिर बगौनिया में आयोजित श्री राम कथा में व्यासपीठ पर विराजमान महामंडलेश्वर स्वामी चंद्रशेखर गिरी जी महाराज एवं उपस्थित संतों को नमन करते हुए  भूपेन्द्र सिंह ने पं.  सुनील शास्त्री जी सहित आयोजनों को हृदय से धन्यवाद दिया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत, शिव पुराण, रामचरित मानस सहित सभी हिन्दू धर्म ग्रंथ एक ही बात का संदेश देते हैं कि मनुष्य को धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए। धर्म के अनुरूप हमारा आचरण होना चाहिए। समय और समर्पण होना चाहिए जो धीरे-धीरे कम हो रहा है। यही सारे कष्टों का कारण हैं। जैसे जैसे धर्म के मार्ग से हटेंगे, जीवन में कष्ट बढ़ेगे।

अभिमन्यु का उदाहरण देते हुए पूर्व गृहमंत्री एवं विधायक  भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि शिशु के पेट में आने से पहले ही मॉं का धर्म शुरू हो जाता है। बच्चे को पाल पोसकर बढ़ा करने की अपेक्षा मॉं का धर्म अपने बच्चे को संस्कार देना है। अगर बच्चे में संस्कार है तो घर में सब कुछ अच्छा होगा। उन्होंने कहा कि जब मॉं के पेट में बच्चा हो तो फालतू के सीरियल बिलकुल भी न देखें। बल्कि धर्म की बातें सुनें, धर्म की किताबें पढ़ें। ईश्वर की आराधना करें और यह सब भक्ति भाव से होना चाहिए। उन्होंने युवक-युवतियों को बताया कि उनकी दिनचर्या कैसी होनी चाहिए।

भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि श्री राम कथा से हम जीवन में मर्यादायें सीखते हैं। भगवान श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है। रामचरित मानस में एक पुत्र, एक भाई, एक पति और एक पत्नी की मर्यादाओं का संदेश है। जो धर्म और न्याय का मार्ग बताती हैं। समाज और निर्धन वर्ग के प्रति आपके दायित्व का बोध कराती हैं। भगवान श्रीराम ने अपने पूरे जीवन चरित्र में हम सबको मर्यादाएं सिखाई हैं। श्री राम अपने गुरु और पिता की आज्ञा का पालन करते हुए 14 साल के लिए वनवास गये। धर्म की रक्षा की और राक्षसों का अंत किया। इसलिए भगवान श्री राम कहलाये। यह सब न करके वे महल में रहे होते तो राजा राम कहलाते।

पूर्व गृहमंत्री, विधायक  भूपेन्द्र सिंह ने कहा कि मर्यादा में रहने वाला व्यक्ति कभी अभिमान नहीं कर सकता। इतिहास गवाह है कि जिन व्यक्तियों ने अभिमान किया उनका अंत भी बुरा हुआ है। रावण को त्रिलोक विजेता कहा जाता है। लेकिन उसमें अभिमान आ गया था, और अभिमान के कारण ही उसका अंत हुआ। अभिमानी का बुरा अंत सुनिश्चित है। इसलिए जीवन में कभी अभिमान न करें और धर्म के मार्ग पर चलें। श्री भूपेन्द्र सिंह ने चाणक्य का सूत्र बताते हुए कहा कि दुष्टों की संगत न करें। सांप से भी ज्यादा जहरीला दुष्ट होता है। सांप एक बार काटता है लेकिन दुष्ट बार-बार काटता है। श्रीराम महायज्ञ एवं श्री राम कथा प्रवचन कार्यक्रम में धर्म प्रेमी विशाल जनसमूह उपस्थित था।

Leave a Comment

Read More